tag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post2321751977892638522..comments2023-06-25T08:21:30.443-07:00Comments on रचना समय: कवितारूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-50018030867280348942009-10-12T10:16:43.896-07:002009-10-12T10:16:43.896-07:00मन को अन्दर तक छूती हुई सहज कविताएं ...मन को अन्दर तक छूती हुई सहज कविताएं ...अनूप भार्गवhttps://www.blogger.com/profile/02237716951833306789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-24017793660414142332009-10-06T08:11:06.884-07:002009-10-06T08:11:06.884-07:00लावण्या जी की कविताएँ निर्मल झरने सी महसूस हुईं.लावण्या जी की कविताएँ निर्मल झरने सी महसूस हुईं.Dr. Sudha Om Dhingrahttps://www.blogger.com/profile/10916293722568766521noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-67062949527907967222009-10-01T19:13:26.587-07:002009-10-01T19:13:26.587-07:00अनुभूतियों की संपन्नता पंक्ति पंक्ति में झलकती है।...अनुभूतियों की संपन्नता पंक्ति पंक्ति में झलकती है। छायावादी कविताओं की स्मृति हो आई। सफाई इतनी कि निराला याद आएँ...<br />इन्हें पढ़ कर ये भी पता चलता है कि विभिन्न आन्दोलनों से गुजरते हुए आज कल की कविताओं में गहराई की आवृत्ति कितनी कम रह गई है ! <br />..सबसे बड़ी बात इनका आभिजात्य है। <br />धन्यवाद। <br />__________________________गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-60852708089799922212009-10-01T10:55:07.078-07:002009-10-01T10:55:07.078-07:00लावण्या जी
आपकी कविता की खासियत यह है कि उस हिन्द...लावण्या जी<br /><br />आपकी कविता की खासियत यह है कि उस हिन्दी की कविता कहा जा सकता है। शब्दों में संगीत और कविता में लय - बधाई।<br /><br />तेजेन्द्र शर्मा<br />महासचिव - कथा यूके<br />लंदनतेजेन्द्र शर्माhttps://www.blogger.com/profile/15753407163299608362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-82186624665701060252009-10-01T07:07:39.688-07:002009-10-01T07:07:39.688-07:00lavanya ji ki sabhi kavitaye bahut
achhi lagi. u...lavanya ji ki sabhi kavitaye bahut<br /> achhi lagi. udan kavita ne mujhe <br /> bahut prabhavit kiya. <br /><br /> nishanisha bhoslenoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-5285600664329127352009-10-01T00:21:06.007-07:002009-10-01T00:21:06.007-07:00सभी रचनाएं बहुत ही प्रभावित करती है दिल से उजागर भ...सभी रचनाएं बहुत ही प्रभावित करती है दिल से उजागर भाव हैं हर रचना में ..शुक्रिया इनको पढ़वाने के लिएरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-6394332823079348132009-09-30T23:20:58.052-07:002009-09-30T23:20:58.052-07:00वैसे तो सभी कविताएं अद्भुत हैं किन्तु मुझे प्रलय ...वैसे तो सभी कविताएं अद्भुत हैं किन्तु मुझे प्रलय वाली कविता काफी पसंद आई । सागर के वक्ष से उठता महाकाल का घर्घर स्वर । ये कविता एक पूरा का पूरा शब्द चित्र है । वो जो कल होने वाला है उसका एक पूरा चित्र शब्दों से जिस प्रकार से खींचा गया है वो केवल लावण्य दी जैसा कोई सिद्धहस्त कवि ही कर सकता है । और फिर संस्कार तो रक्त में आते ही हैं । गा रही हूं आज मैं । एक बहुत अच्छा गीत जिसे में लिये जा रहा हूं अपने संग गाने के लिये गुनगुनाने के लिये ।पंकज सुबीरhttps://www.blogger.com/profile/16918539411396437961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-52442755851095375722009-09-30T19:19:57.701-07:002009-09-30T19:19:57.701-07:00बहुत बहुत आभार आपका रूपभाई साहब
जो आपके कहने से ,...बहुत बहुत आभार आपका रूपभाई साहब <br />जो आपके कहने से ,<br />मेरी कवितायेँ<br /> रचना समय पर <br />हमारे हिन्दी ब्लॉग जगत के साथियों तक पहुँच पायीं <br />-- आभारी रहूँगी -- <br /><br />देख कर मन प्रसन्न हुआ<br /> और सभी की उदारह्रदय से की गयी उत्साहवर्द्धक बातों को सहेजे रहूँगी <br />ताकि ,<br /> आगे की सृजन क्रिया के लिए<br /> ऊर्जा मिलती रहे -<br />ह्रदय से आभार ,<br />सादर , स - स्नेह,<br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-36928264596929465152009-09-30T18:58:17.667-07:002009-09-30T18:58:17.667-07:00चंदेल जी,
लावण्या जी की रचनाएँ पढ़वाने का शुक्रिय...चंदेल जी, <br />लावण्या जी की रचनाएँ पढ़वाने का शुक्रिया| पाँचों रचनाएँ बहुत सुन्दर हैं| "मौन गगन दीप" ने मुझे विशेष रूप से प्रभावित किया|<br /><a href="http://www.smartindian.com" rel="nofollow">अनुराग शर्मा</a>Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-86747770922875028262009-09-30T11:34:49.979-07:002009-09-30T11:34:49.979-07:00श्री चंदेल जी को लावण्या जी की रचनाएँ पढ़वाने के ल...श्री चंदेल जी को लावण्या जी की रचनाएँ पढ़वाने के लिए हार्दिक धन्यवाद.महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-17561019791369070932009-09-30T11:32:48.849-07:002009-09-30T11:32:48.849-07:00मौन गगन दीप, उड़ान,प्रलय,मानवता और 'समय की धारा...मौन गगन दीप, उड़ान,प्रलय,मानवता और 'समय की धारा' - पाँचों रचनाएँ बहुत सुन्दर हैं. काव्य में सौन्दर्य के लिए उपमा, प्रतीक, अलंकार, प्रभावशाली शब्द-चयन और भाव आदि गहनों की भांति होते हैं. लावण्या जी की पांचों कविताओं में सभी गुण विद्यमान हैं. भाषा, शब्द-चयन और भावाभिव्यक्ति की दृष्टि से उनकी कवितायेँ उच्चकोटि की रचनाएँ हैं.<br /><br />कब मक्का सी पीली धूप, हरी अँबियोँ से खेलेगी?<br />कब नीले जल मेँ तैरती मछलियाँ, अपना पथ भूलेँगीँ ?<br />क्या पानी मेँ भी पथ बनते होँगेँ ? होते होँगे, बँदनवार ?<br />क्या कोयल भी उडती होगी, निश्चिन्त, गगन पथ निहार ?<br /><br />हैँ वलयोँ के द्वार खुले, लहराते नीले जल पर !<br />सागर के वक्षसे उठता, महाकाल का घर्घर स्वर,<br />सृष्टि के प्रथम सृजन सा, तिमिराच्छादीत महालोक<br />बूँद बनी है लहर यहाँ, लहरोँ से उठता पारावार,<br />बहुत सुन्दर.<br /><br />वात्सल्य, करुणा,खुशी,हँसी, मस्ती के तराने,<br />आँसू - विषाद की छाया बन कर भी दीख जाती<br />यही मानव मन से उपजे भाव अनेक अनमोल,<br />मानवता के पाठ पढाते युगोँ से, अमृत घोल !<br /><br />हो मँगलमय प्रभात, पृथ्वी पर,<br />मिटे कलह का कटु उन्माद !<br />वसुँधरा हो हरी -भरी फिर,<br />चमके खुशहाली सा - प्रात: !!<br />लावण्या जी, आप स्व. श्री नरेंद्र शर्मा जी की काव्य-परंपरा को बहुत ही सुन्दर ढंग से निभा <br />रही हो जिसके लिए आपको अनेक बधाईयाँ.महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-79921458867613689012009-09-30T10:55:52.687-07:002009-09-30T10:55:52.687-07:00kavitayen alag tarah ki hain jaise bahut dur ka sa...kavitayen alag tarah ki hain jaise bahut dur ka sandesh.lavanya ji ko aur chandel ji ko badhai aur dhanyavaad. 09818032913सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-102450155394547882009-09-30T09:43:31.963-07:002009-09-30T09:43:31.963-07:00main vismit ,vimugdh sahitya ki un pagdandiyon se ...main vismit ,vimugdh sahitya ki un pagdandiyon se gujar rahi hun,jispar suprasidh rachnaklaron ke padchinhon ki khushboo samahit hai......रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-53972177172839354182009-09-30T09:21:06.713-07:002009-09-30T09:21:06.713-07:00पाँचों रचनाएँ बेहद सुन्दर. यथार्थ में इन्हें ही कव...पाँचों रचनाएँ बेहद सुन्दर. यथार्थ में इन्हें ही कविता कहा जाना चाहिए. आजकल के सिनेमा में जो गीत और संगीत मिल रहा है क्या उन्हें गीत कहलाने की योग्यता है. उसी तरह भले ही पुरा कालीन कविताओं का असर लावण्या जी की रचनाओं में झलकता हो, वे सहेजने योग्य हैं. उन्हें यहाँ प्रस्तुत करने के लिए बधाई और आभार भीP.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-1825900712003736912009-09-30T08:56:07.010-07:002009-09-30T08:56:07.010-07:00priy chandel,
lavanya shah ki kavitayen padhin. al...priy chandel,<br />lavanya shah ki kavitayen padhin. alag tarah ki hain.<br />naya gyanodaya ke taja oct ank mein meri ek lambi kahani aayee hai. aisa aaj suna hai. yadi ank sahajta se mile to padhkar likhna kaisi hai.<br /><br />krishnabihariAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-63636177143563917212009-09-30T08:54:14.996-07:002009-09-30T08:54:14.996-07:00अदभुत कवितायें हैं ये । इनका सौन्दर्य मुग्ध कर रहा...अदभुत कवितायें हैं ये । इनका सौन्दर्य मुग्ध कर रहा है । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-41394328239676114012009-09-30T08:34:29.863-07:002009-09-30T08:34:29.863-07:00वाह, गायन चाहे उड़ान का हो, मानवता का, समय का, मौन ...वाह, गायन चाहे उड़ान का हो, मानवता का, समय का, मौन का या फिर प्रलय का --- जब सुन्दर शब्दों का आवरण पाता है तो बांध लेता है मन को!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-8837842787530639682009-09-30T06:51:07.765-07:002009-09-30T06:51:07.765-07:00सुंदर रचनाएँ, इन में पुराकालीन साहित्य का असर दिखा...सुंदर रचनाएँ, इन में पुराकालीन साहित्य का असर दिखाई देता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-15933331552032997532009-09-30T06:40:16.190-07:002009-09-30T06:40:16.190-07:00Lawanya jee kii kavitaaon ne kaphee prabhavit kiya...Lawanya jee kii kavitaaon ne kaphee prabhavit kiya hei unki kavitaon mae jeevan ke prati upajta vishwaas hame takat detaa hei inn achchhi kavitaon ke liye mae unhen badhai deta hoon<br /> <br /> ashok andreyashok andreyhttps://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-76845701662088151362009-09-30T06:33:39.537-07:002009-09-30T06:33:39.537-07:00ऐसे समय में जबकि छंदहीनता को ही कविता में प्रगतिशी...ऐसे समय में जबकि छंदहीनता को ही कविता में प्रगतिशीलता माना और समझा जा रहा है, लावण्या शाह की प्रस्तुत कविताएँ कविता के जीवित होने का प्रमाण प्रस्तुत करती हैं। सभी रचनाएँ सुन्दर हैं।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-15014186984716251422009-09-30T06:28:23.156-07:002009-09-30T06:28:23.156-07:00लावण्या दी की कविताओं में कोमलता प्रभावित करती है....लावण्या दी की कविताओं में कोमलता प्रभावित करती है. कितनी सुन्दर और यथार्थ सहेजे रचनाएँ हैं सभी. लावण्या दी को बधाई.<br /><br />आपका आभार हमें पढ़वाने के लिए.<br /><br />अनेक शुभकामनाएँ.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-91507846346026403392009-09-30T05:05:49.839-07:002009-09-30T05:05:49.839-07:00LAVANYA JEE KE SAREE KAVITAAON KA
EK EK SHABD GUN...LAVANYA JEE KE SAREE KAVITAAON KA <br />EK EK SHABD GUNGUNAA KAR BADE HEE<br />PYAR SE PADH GAYAA HOON.SAHAJ<br />ABHIVYAKTI KE LIYE LAVANYA JEE KO<br />BADHAAEE.PRAN SHARMAnoreply@blogger.com