tag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post2725494735190666821..comments2023-06-25T08:21:30.443-07:00Comments on रचना समय: पुस्तक चर्चारूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-36521185096628704972008-04-18T20:32:00.000-07:002008-04-18T20:32:00.000-07:00यह आपलोग अच्छा नहीं कर रहे हैं. ऎसी ऎसी किताबों की...यह आपलोग अच्छा नहीं कर रहे हैं. ऎसी ऎसी किताबों की समीक्षा प्रकाशित करते हैं कि एकदम से पढ़ने का मन करता है. सुभाष नीरव की कहानियां तो तब भी पढी़ है, काबीले तारीफ हैं. लेकिन छांग्या-रुक्ख का क्या करूं? क्या किसी साइट पर है?<BR/><BR/>इला<BR/>यू.एस.ए.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-25602980004754631152008-03-26T20:08:00.000-07:002008-03-26T20:08:00.000-07:00सुन्दर एवं विस्तृत समीक्षा..जरुर पढ़ी जायेगी यह कित...सुन्दर एवं विस्तृत समीक्षा..जरुर पढ़ी जायेगी यह किताब. आभार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com