tag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post3006940558146867992..comments2023-06-25T08:21:30.443-07:00Comments on रचना समय: लघुकथारूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-60980909421528969602010-07-25T03:33:09.899-07:002010-07-25T03:33:09.899-07:00''भूख के दिनों में आदमी की पहली जरूरत चौकन...''भूख के दिनों में आदमी की पहली जरूरत चौकन्ना रहना और धीरज से काम लेना है, जानवर बन जाना नहीं…।” ........... बलराम अग्रवाल जी कई बार अपनी लघुकथाओं में महत्वपूर्ण स्थापनाएं स्थापित करते हैं, यह एक ऎसी ही स्थापना है। इससे लघुकथा समृद्ध हुई है। ......... तीनों लघुकथाएं प्रभावी हैं।उमेश महादोषीhttps://www.blogger.com/profile/17022330427080722584noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-89943169851374669502010-04-01T08:01:48.095-07:002010-04-01T08:01:48.095-07:00बलराम अग्रवाल का लिखने का अपना अलग अंदाज है, वह अल...बलराम अग्रवाल का लिखने का अपना अलग अंदाज है, वह अलग अंदाज इन तीनों रचनाओं में भी आसानी से देखा जा सकता है। अपनी बात को जिस गहरी रचनात्मकता के साथ वह रेखांकित करते है, वह मुझे कई बार बड़ी महत्वपूर्ण लगती है। अपनी बात जैसे तैसे कह भर देना ही काफी नहीं है। लेखक चलताऊ हथकंडे अपनाकर रचना को प्रभावकारी और ह्र्दयस्पर्शी नहीं बना सकता, उसके लिए गहरा चिंतन और रचना में गहरे उतरना भी बेहद ज़रूरी होता है। बलराम अग्रवाल के पास गहरा चिंतन भी है और रचना में गहरे उतरना भी उन्हें खूब आता है। अब "शहर और आदमी" को ही ले लें। भले ही यह लघुकथा कम कहानी के अधिक नज़दीक लगती रचना है पर जिस गहरी रागात्मकता से इसे खूबसूरत ढ़ग से लिखा गया है, वह इस रचना को बेहद असरदार बना देता है और इस रचना में हमारा(कटु) यथार्थ जिस फैन्टेसी के साथ उभरकर सामने आता है, वह इसे भीड़ से अलग बनाता है। आजकल शहर जंगल के कहीं अधिक खतरनाक हो गए हैं। आदमी एकबार जंगल से तो बचकर आ भी सकता है पर शहर के पैने पंजों और दांतों से उसका बचना असंभव है।सुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/06327767362864234960noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-56321501099494496642010-03-29T01:58:39.525-07:002010-03-29T01:58:39.525-07:00तीनों लघु कथाएं अच्छी हैं जिनमें गुलाम युग ख़ास भा...तीनों लघु कथाएं अच्छी हैं जिनमें गुलाम युग ख़ास भाई. वैसे भी बलराम जी का हिन्दी लघुकथा के क्षेत्र में ऐतिहासिक योगदान है. प्रस्तुतीकरण के लिए आपका धन्यवाद! अपने सभी ब्लोग्स के जरिये चंदेल जी आप ऐसा काम कर रहे हैं जिसका इतिहास समय लिखेगा.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-68514097641128336872010-03-27T00:48:23.570-07:002010-03-27T00:48:23.570-07:00गुलामयुग-साँस रोककर पढ़नेवाली लघुकथा है । अभी तक भ...गुलामयुग-साँस रोककर पढ़नेवाली लघुकथा है । अभी तक भाई बलराम जी ने जो लिखा है, यह उससे बहुत आगे की रचना है ।युग -सत्य को बहुत सूक्ष्मता से इस कथा के द्वारा उद्घाटित किया है । इस लघुकथा की शक्ति बहुत दूर तक मार करने वाली है ।रामेश्वर काम्बोजसहज साहित्यhttps://www.blogger.com/profile/09750848593343499254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-36714191108765838522010-03-26T08:47:03.973-07:002010-03-26T08:47:03.973-07:00लड़ाई,आदमी और शहर,गुलामयुग -बलराम अग्रवाल की तीनो...लड़ाई,आदमी और शहर,गुलामयुग -बलराम अग्रवाल की तीनो लघु कथाओं को पढ़ा ऊपर की दो पहले पढ़ी हुई थीं तीसरी को पहली वार पढ़ा है.लड़ाई को आज समझा है अपने आप से लड़ते हुए आदमी को जो आइना सही तस्वीर दिखता है इसी तरह टूटता है आदमी और शहर -सन्देश देता है कि शहर के द्वारा खाए हुए कभी भी जंगल के शेर द्वारा खाए हुए जीवन सिंह जितने जिन्दा कभी नहीं बचाते हैं ,अलवत्ता यह लघु कथा की वजाय कहानी के निकट है.गुलाम युग सत्ता की भूख को पूरी ऊँचाई पर लेजाकर गुलामों की ताकत को सहज रूप में व्यक्त करती है .तीनों लघु कथाओं का चयन न केवल इस लिए महत्वपूर्ण है कि सभी सशक्त अवं संवेदन शील हैं वल्कि इस लिए अधिक महत्वा पूर्ण है कि व्यक्ति से लेकर समाज और राष्ट्र तक का परिदृश्य पूरी वैचारिक ऊंचाई के साथ उपस्थित हो जाता है इस चुनाव केलिए चंदेल जी को धन्यवाद बलराम अग्रवाल जी को रचनात्मक कौशल के लिए बधाई.सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-69281536445705879662010-03-26T04:43:46.921-07:002010-03-26T04:43:46.921-07:00सारी लघुकथाएं बहुत बढ़िया लगा! आपने इतनी सुन्दरता ...सारी लघुकथाएं बहुत बढ़िया लगा! आपने इतनी सुन्दरता से प्रस्तुत किया है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.com