tag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post6215488884440482454..comments2023-06-25T08:21:30.443-07:00Comments on रचना समय: उच्च शिक्षारूपसिंह चन्देलhttp://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-33131671152772077322009-01-23T22:55:00.000-08:002009-01-23T22:55:00.000-08:00भारत जैसे विशाल देश को उच्च्ह शिक्षा पर गहन मीमंसअ...भारत जैसे विशाल देश को उच्च्ह शिक्षा पर गहन मीमंसअ करनी चाहिये। इस समय भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में नकलची और आत्मविश्वासहीन भरे हुए हैं। विविधता की भयंकर कमिइ है। हर कोई इंजिनीयर या डाक्टर बनने के चक्कर में है। कोई समाजशास्त्री, शिक्षाशास्त्री, भाषाशास्त्री, आदि नहीं बनना चाहता। बस भेंड़-चाल हर जगह हाबी है; स्वतन्त्र-चिन्तन से सभी परहेज करते हैं। कोई लीक से हटकर न सोच रहा है न कुछ कहने का साहस कर पा रहा है। उच्च-शिक्षा में सृजनात्मकता पैदा करने की शक्ति नहीं के बराबर ही है।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-16952555008270577952008-04-01T09:56:00.000-07:002008-04-01T09:56:00.000-07:00पहली बार आपके ब्लाग पर हू, पर अच्छा लग रहा है. आता...पहली बार आपके ब्लाग पर हू, पर अच्छा लग रहा है. आता रहुन्गा.विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-91139938690408280002008-03-15T12:14:00.000-07:002008-03-15T12:14:00.000-07:00मेरे अपने अनुभव से विग्यान के क्षेत्र मे महिलओ को ...मेरे अपने अनुभव से विग्यान के क्षेत्र मे महिलओ को हिन्दुस्तान मे नौकरी देने मे जितना भेदभाव है, उतना शायद ही किसी दूसरे देश मे हो.<BR/><BR/>विग्यान के कुछ विशयो मे जैसे कि बायोलोजी मे हमेशा, किसी भी विश्व्विधालय मे M. Sc. (zoology, Botany, Biochemistry, Biotechnology, Life science, environmental Science etc.) मे पिचले 15 सालो मे छात्राओ की संख्या, छात्रो से बहुत ज्यादा रही है. यहा तक की पी. एच. डी. मे भी ये अनुपात लग्भग बराबर का है.<BR/><BR/>पिछ्ले 15 सालो मे किसी भी संस्थान मे हुयी वैग्यानिको की नियुक्ती मे महिलओ क प्रतिशत 5-10% के बीच है. और जिन खास महिलओ की नियुक्ती हुयी भी है, वो सक्षम ज़रूर है, उतनी ही जितने उनके साथी पुरुष, पर उनकी नियुक्ती, के कारण है, उनके, पिता, ससूर, पति, आदि का रसूख या फिर किसी बडे पोस्ट पर बैठे आदमी के साथ शारीरिक सम्बंध.<BR/>इस बारे मे भी शोध होना चाहिये कि क्यो, महिलओ की इतनी कम नियुक्ती होती है वैग्यानिक के पद पर जब कि देश भारत मे कई महिलाये शोध कर्ती, है, और अस्थायी पद पर एक लम्बे अरसे से, एक बडी संख्या मे कार्य्ररत है?<BR/>अगर इन महिलो को रोज़्गार की और रचनात्मक्ता की आज़ादी नही मिल सकती तो किस बूते पर हम अपनी बच्चियो को इस रास्ते पर आगे बढने के लिये प्रेरित कर सकते है?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-47290359047958499052008-03-09T10:16:00.000-07:002008-03-09T10:16:00.000-07:00एक उम्दा आलेख.,..बधाई.एक उम्दा आलेख.,..बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6672229774459200184.post-79886390568330413082008-03-09T03:40:00.000-07:002008-03-09T03:40:00.000-07:00महिला दिवस पर तुमने बेहद अच्छा, प्रासंगिक और सार्थ...महिला दिवस पर तुमने बेहद अच्छा, प्रासंगिक और सार्थक पोस्ट दिया है। बधाई।<BR/>-सुभाष नीरवसुभाष नीरवhttps://www.blogger.com/profile/03126575478140833321noreply@blogger.com