वो, जो कभी मेरा अपना था.
समझता है कमज़ोरी, दिल की मेरे
भावनाओं का मेरी उडाता है मज़ाक
कहता है सरे आम
चाहे रहो किसी और के हो कर भी
बस चुकाओ मेरे दाम
और लिखदो अपने नाम के साथ मेरा नाम !
मेरे बदन से नहीं आयेगी उसे
किसी दूसरे के शरीर की गंध
उसे नहीं रखना है मुझे
करके अपनी सांसों में बंद
कद्र ओहदे की करे, इंसां को नहीं जाने
मुझ से अपनी ज़ुबां में वो कभी न बात करे
उसे बस रहता है मेरी पूंजी से ही काम
फिर चाहे मैं लिख दूं उसके नाम के साथ अपना नाम !
अपना बनाने की भी रखता है शर्तें
भूल जाता है प्यार की पहली शर्त
कि प्यार शर्तों पर नहीं किया जाता
मेरे हर काम पर लगेगी पाबंदी
मुझे सदा होंगी अपनी हदें पहचाननी
कभी उससे नहीं रखनी होगी कोई अपेक्षा
हर वक्त पीना होगा बेरूख़ी का कडवा जाम
तभी लिख पाऊंगा उसके नाम के साथ अपना नाम !
आजकल शेरी ब्लेयर को अच्छी नींद आती है
भला क्या काम होता है
क्रूरता वीरता नहीं होती.
इक धमाके से
शरीर जो उधडे
पटरियों पर बहा
लहू जिनका
हाथ में जाके जिनकी
आंख गिरी
होंठ थे उनके जैसे
यह कह्ते
क्रूरता वीरता नहीं होती.
पति मरा जो किसी का
वो भाई भी था पुत्र भी
वो दोस्त भी था, बोझ
रिश्तों का उठाए हुए
मौत ने उसके क्ई
रिश्तों को सुला डाला
रिश्तों ने आसमां पे लिख डाला
क्रूरता वीरता नहीं होती.
कोई डाक्टर मरा
वकील कोई
बम धमाके न सुनते बात
न दलील कोई
काम कैसा कोई करे
तमाम होता है
कल तलक सबको
जो हंसाता था,
हर कोई उसके लिये रोता है
वो ज्वालामुखी* भी सोता है।
पेशे सारे ये बात माने हैं
क्रूरता वीरता नहीं होती.
*कवि श्याम ज्वालामुखी।
परिवार के साथ तेजिन्दर शर्मा
जन्म : 21 अक्टूबर 1952 को पंजाब के शहर जगरांवशिक्षा : दिल्ली विश्विद्यालय से बी.ए. (ऑनर्स) अंग्रेज़ी, एवं एम.ए. अंग्रेज़ी, कम्पयूटर कार्य में डिप्लोमा ।प्रकाशित कृतियाँ : काला सागर (1990) ढिबरी टाईट (1994), देह की कीमत (1999) यह क्या हो गया ! (2003), बेघर आंखें (2007) -सभी कहानी संग्रह। ये घर तुम्हारा है... (2007 - कविता एवं ग़ज़ल संग्रह) ढिबरी टाइट नाम से पंजाबी, इँटों का जंगल नाम से उर्दू तथा पासपोर्ट का रंगहरू नाम से नेपाली में भी उनकी अनूदित कहानियों के संग्रह प्रकाशित हुए हैं। अंग्रेज़ी में : 1. Black & White (biography of a banker – 2007), 2. Lord Byron - Don Juan (1976), 3. John Keats - The Two Hyperions (1977)कथा (यू.के.) के माध्यम से लंदन में निरंतर कथा गोष्ठियों, कार्यशालाओं एवं साहित्यिक कार्यक्रमों का आयोजन । लंदन में कहानी मंचन की शुरूआत वापसी से की। लंदन एवं बेज़िंगस्टोक में, अहिंदीभाषी कलाकारों को लेकर एक हिंदी नाटक हनीमून का सफल निर्देशन एवं मंचन ।74-A, Palmerston RoadHarrow & WealdstoneMiddlesex UKTelephone: 020-8930-7778 / 020-8861-0923.E-mail: kahanikar@gmail.com , mailto:kathauk@hotmail.com
6 टिप्पणियां:
me pahali bar aapke blog par aai. apko padhana bhut aacha laga. sundar rachanaye. age bhi apke blog par bani rahugi. acchi rachana ko padhane ke liye badhai.
aap apna word verification hata le taki humko tipani dene mei aasani ho.
Achhi kavitayon ki bahut achhi prastuti. Dhire-dhire nikhar aa raha hai tumhare blog par. Sunder aur stariya rachanayon ko sunder aur surichipurn dhang se lagana bhi ek mahatavpurn bat hai. Badhayee !
तेजेन्द्र जी
आप की कहानियों कि बात ही निराली थी,
अब काव्य भी अपनी छटा बिखेर रहे हैं।
बधाई।
रूप जी से एक अनुरोध- कृपया हिन्दी साहित्य सरिता का भी लिंक दे दें। www.hindi.sahityasarita.org.
धन्यवाद।
कुमुद अधिकारी, नेपाल।
अच्छी कविताएँ हैं !
इला
Aapki rachnaye padhi aur krurta veerta nahi hoti main aapke sabdon ke proyog se bahut achambhit hoon ki aapne kitni aasani se sari schhayi likh di hai
aap bhaut achhe kavi hai aur khanikaar hai ye aapki email id se pata chalta hai umeed hai ki jald hi aapki koi khanai se bhi bhent hogi
likhte rahiye
aapse milkar achha laga
भाई रूप जी
मैं श्रद्धा, कुमुद, रश्मि एवं सुभाष भाई का धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने कविताएं पढ़ने का बाद टिप्पणियां भी कीं। किसी भी लेखक के लिये पाठक की प्रतिक्रिया सबसे बड़ा ईनाम होती है।
तेजेन्द्र शर्मा
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